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________________ [8.1] भाभी के साथ कर्मों का हिसाब 243 पाँच बजे आएगा, उसी को जाने की छूट है, तो कितने लोग जल्दी उठ कर जाएँगे? प्रश्नकर्ता : सभी जाएँगे। दादाश्री : हं, आपको समझ में आया न? सरकार ने उस तरह से बंद नहीं किया है, उस वजह से सुख है यह। ___ तो मुझे क्यू में जाकर खड़ा रहना पड़ा। उन्होंने मुझे कहा, 'थोड़ी देर, पाँच मिनट खड़ा रहना पड़ेगा'। मैंने कहा, 'नहीं, एक मिनट भी नहीं, मैं बाद में वापस आऊँगा'। इस समय मुझे संडास नहीं जाना है इससे तो बेहतर है यों ही बैठा रहूँगा! हमें इस तरह संडास नहीं जाना है। हाँ! अगर कब्ज़ हो जाएगा तो परसो चूरन ले लूँगा। यह नहीं पुसाएगा हमें!' यह कैसे पुसाता? वहाँ खड़े रहकर किस चीज़ की राह देख रह हो? अरे! घनचक्कर क्या इसकी भी कीमत है ? संडास की कीमत इतनी बढ़ गई! तो भाई यहाँ पर भी ऐसी भीड़-भाड़! अरे, लॉज में कीमत बढ़ गई हो तो ठीक है, यहाँ भी कीमत बढ़ गई? अरे! मुझे तो शर्म आ रही थी! __ क्यू में तो मैं खाना खाने के लिए भी खड़ा न रहूँ। उसके बजाय तो यों ही, 'अरे! तेरी रोटी तेरे घर पर ही रहने दे। थोड़े चने खा लूँगा। अगर तू मुझे मोक्ष दे रहा है तो चल खड़ा रहूँगा, रात दिन खड़ा रहूँगा क्यू में!' इसमें भी क्यू! प्रश्नकर्ता : सोनापुर (शमशान) में भी क्यू लगती है। दादाश्री : मरते समय फिर से क्यू? कितनी निम्नता है यह ! मैंने तो अहमदाबाद में ऐसा संडास देखा, तो चिढ़ गया कि ऐसा जंगलीपन ! ___आगे लल्लू भाई खड़े हों, पीछे नगीन सेठ खड़े हों। उनके पीछे नगीन सेठ की सेठानी खड़ी हों। सेठानी-सेठ, आप दोनों संडास के लिए आए हो? और क्यू में खड़े हो? अरे, कैसे घनचक्कर हो? कैसी शर्मिंदगी वाली बात है, क्यू में खड़ा रहना पड़ता है! शर्मनाक लगता है! अहमदाबाद के सब सेठ देखे हैं मैंने। जब उनके ऑफिस में बैठे
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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