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________________ [7] बड़े भाई 215 थे? मरते समय कह रहे थे, 'मैं हूँ पूर्व जन्म का योगी। किसी पाप के बल से यहाँ पर आ गया'। चौबीसों घंटे बस यही बोलते रहते थे, और कुछ भी नहीं बोलते थे। यानी कि योगी पुरुष थे, शीलवान पुरुष थे वे तो! मरते समय भी वैसे ही तेजस्वी और दर्शनीय दिखाई दे रहे थे। मुझे तो लगता था कि ये कोई योगी पुरुष होंगे! प्रश्नकर्ता : होंगे ही न! दादाश्री : योगी ही थे, मैंने देखा था। शुरू से ही कई तरह के लोगों को देखा था और हर एक में क्या विशेषता है, वह मार्क करता रहता था। और हमारे बड़े भाई तो अच्छे इंसान थे, महान योगी पुरुष! योगी पुरुष यानी कैसे? जो चाहे सो कर सकते थे, इतना स्ट्रोंग माइन्ड! और 'कैसे स्ट्रोंग इंसान थे वे!' एक दिन कहने लगे, 'मुझे अब सिर्फ दूध पर रहना है'। तो छः महीने तक दूध पर रहे। एक दिन तय किया कि 'हमें तो सिर्फ सब्जी पर ही रहना है'। तो छः महीने तक सब्जी पर रहे। बिल्कुल भी विचलित नहीं होते थे। इतने स्ट्रोंग इंसान तो आपने किसी ने नहीं देखे होंगे। मैं इन चीजों में स्ट्रोंग था ही नहीं। वे इतने स्ट्रोंग इंसान थे! वे तो बहुत रौब वाले थे। यदि कहें कि छ:-छ: महीने तक मीठा नहीं खाना है तो कहते थे, 'चलो, तो ऐसा ही'। छः महीने तक दूध पर रहना है, तो कहते थे, 'चलो ऐसा ही!' कंट्रोलर इंसान थे। दिवाली बा ने कभी भी चावल वगैरह छौंककर नहीं खाए थे। हमारे मणि भाई का स्वभाव बहुत तेज़ था। उन्हें खाने में सब शुद्ध ही चाहिए था। साइन्टिफिक तरीके से जीते थे फिर भी पचास साल की उम्र में मर गए, दिवाली बा उस समय तीस साल की थीं।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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