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________________ 208 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) की ज़रूरत पड़ती थी। अब यह काम हमें कैसे पुसाता? पचास रुपए की बोतल चाहिए और वह भी विलायती उसमें भी अच्छी तरह से पीते थे। उस घर में रुपया कैसे टिकता? कितनी आमदनी होती थी? 193032 के ज़माने में। प्रश्नकर्ता : पचास रुपए तो बहुत बड़ी चीज़ थी। आज के पाँच हज़ार रुपए जितने। दादाश्री : यानी सारी आमदनी तो उनके पीने में ही चली जाती थी। फिर घर-बार सबकुछ गिरवी रख दिया था। तरसाली की ज़मीन भी गिरवी रख दी। गाँव की दस बीघा, तरसाली की साढ़े छ: बीघा और घर-बार वगैरह सब गिरवी रख दिया। बहुत बीती, उसके बाद स्वतंत्र काम किया भाई से अलग होकर व्यापार में आमदनी थी उन दिनों। उन दिनों कॉन्ट्रैक्ट का काम बहुत अच्छा माना जाता था लेकिन फिर पैसों की कमी पड़ने लगी। हम पर उधार चढ़ने लगा। फिर मुझे अलग हो जाना पड़ा। प्रश्नकर्ता : वह किस उम्र में दादा? दादाश्री : तीस साल की उम्र में स्वतंत्र। मुझ पर भी दस साल बहुत बुरी बीती थी न! इसलिए फिर मुझे याद रह गया थोड़ा-बहुत। व्यापार में बड़े भाई के साथ रहा था, तब बहुत बुरी बीती थी। प्रश्नकर्ता : क्या बीती थी, दादा? दादाश्री : बहुत बुरी बीती थी। पैसे उधार लाने पड़ते थे और ऐसा सब करना पड़ता था। अनाज उधार लेकर आना पड़ता था। क्या उसे बहुत बुरी बीती नहीं कहेंगे? प्रश्नकर्ता : हाँ, बुरी बीती ही कहा जाएगा न, उसे तो। दादाश्री : हं। व्यापार अच्छा था, बड़ा व्यापार था लेकिन फिर
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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