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________________ 142 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) हिसाब चुकाते हैं, उनका हिसाब चुक जाएगा जबकि नींद में हिसाब नहीं चुक पाएगा। वर्ना सोते हुए तो हिसाब चुकाने ही देते हैं न लोग! राजावाजा सभी करने देते हैं न? आपको क्या लगता है ? प्रश्नकर्ता : ठीक है, नहीं करने देते। दादाश्री : मैं तो जागते हुए ही हिसाब चुक जाने देता था। आपके खर्राटे लेते ही सभी खटमल एक साथ इकट्ठे होकर बाहर निकल आते हैं, चढ़ बैठते हैं और आराम से बैठकर खाना खाते हैं ! वे खाना खाकर चले जाते हैं। फिर सुबह पाँच बजे एक भी नहीं दिखाई देता। खाना खाया हो या नहीं लेकिन पाँच बजते ही चले जाते हैं। सुबह शांत, फर्स्ट क्लास खाना खाकर शांति से आराम करता होगा। इतना खाता है कि हाथ लगाते ही फूट जाता है बेचारा। अरे! मर जाता है। अपने हाथ बदबूदार हो जाते हैं बल्कि! वे आराम से खाना खाकर जाते हैं, वह भी व्यवस्थित है न! प्रश्नकर्ता : हाँ। जो जागृत अवस्था में खाना खिलाएँ, उनके चौरासी प्रकार के ताप जाएँ दादाश्री : तो उसके बजाय जागृत अवस्था में खाने दो न उन्हें, हं, हो जाएगा। जब डॉक्टर इन्जेक्शन देते हैं उस समय नहीं चुभता है क्या? उसे क्यों एक्सेप्ट कर लेते हैं? 'लेकिन बुखार उतर जाएगा न!' तो ये जो इन्जेक्शन लगाते हैं न, तो उससे वह वाला बुखार उतर जाएगा', ऐसा कहा है। चौरासी प्रकार के ताप, मन के जो ताप है न, वे सभी एकदम से खत्म हो जाएँगे। ये आपसे रात में ले जाते हैं ! दिन में नहीं लेने देते न, जागते हुए? प्रश्नकर्ता : नहीं, दादा! कितना उच्च प्रकार का समभाव आए, तब कहीं ऐसा हो सकता है! दादाश्री : ऐसा तो मैं अठाईस साल की उम्र में करता था। यहाँ (गले पर) खटमल आते थे न, तो उन्हें यहाँ (पैरों पर) रख देता था।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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