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________________ [5.2] पूर्व जन्म के संस्कार हुए जागृत, माता के 133 दादाश्री : हाँ। मैं लेकर आया हूँ और इतना सुंदर माल है। देखना, उससे लोगों का काम निकल जाएगा। पहले तो खटमल पर बहुत चिढ़ थी प्रश्नकर्ता : अहिंसा के ऐसे अन्य कोई पाठ जो माँ से सीखे हों, वैसी बातें बताइए न, दादा। दादाश्री : बचपन से ही बाकी सभी चीजों के लिए हमारी चिढ़ चली गई थी लेकिन खटमल पर रह गई थी। झवेर बा और हीरा बा को नींद आ जाती थी। वे नहीं चिढ़ते थे लेकिन मुझे चिढ़ रहती थी। खटमल के प्रति चिढ़ के कारण हमने लोगों को पूरी रात-रात भर जागते हुए भी देखा है। अरे! और किसी की क्या बात करें हमारा ही इतना सेन्सिटीव स्वभाव था कि एक खटमल को भी बिस्तर पर रेंगते हुए देखकर पूरी रात जागते हुई बिताई है। शुरुआत में तो मैं उन्हें खाने नहीं देता था, निकाल देता था और फिर वैष्णव के घर जन्म हुआ था न, तो मार भी देता था। वहाँ पर हिंसा का इतना अधिक महत्व नहीं था तो घर में भी ऐसा सब नहीं सिखाते थे। फिर यह सब तो बाद में पता चला कि यह सब गलत हुआ है। खटमल टिफिन लेकर नहीं आते बहुत साल पहले की बात है। मैं पच्चीस-छब्बीस साल का था उन दिनों घर में मदर बीमार रहती थीं, उस वजह से घर में खटमल हो गए थे, ज़रा ज़्यादा हो गए थे। घर में सभी परेशान हो गए थे। जब इंसान बहुत बुढ़ापे में कमज़ोर हो जाता है न, तब शरीर भी कमज़ोर हो जाता है तब खटमल हो जाते हैं। तो बा के बिस्तर पर बिछाने की दो नरम रज़ाइयाँ थीं तो उनमें खटमल हो गए थे। फिर वे मुझे भी काटते थे! मेरा भी नसीब तो होगा न ! मेरी मदर मुझसे छत्तीस साल बड़ी थीं। मदर से मैंने पूछा कि आज तक कभी भी खटमल नहीं हुए है लेकिन इस साल बहुत खटमल
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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