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________________ 122 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) न! तो पूरी गली के लोग ही बाहर आ गए तो क्या हम समझ नहीं जाएँगे कि इन्होंने क्या प्राप्ति की है? समझ जाएँगे या नहीं? क्या प्राप्ति की होगी? प्रश्नकर्ता : प्रेम प्राप्त किया न? दादाश्री : एडजस्टमेन्ट । 'हाउ टू एडजस्ट'। क्या वे सभी अच्छी थीं? वे सब लोग जो बाहर निकलकर आए, क्या वे सभी लोग अच्छे थे? तो अच्छे-बुरे सभी लोग बाहर निकलते थे। बा आए, बा आ गए, बा आ गए! तो वह सब हमें देखने मिला या नहीं? प्रश्नकर्ता : मिला। दादाश्री : दोनों तरफ के सभी घर। ऐसा ही सब देखा था मैंने। उसी का मुझ पर प्रभाव पड़ा। उनके संस्कार ऐसे थे, इसलिए! समता व खानदानियत, अतः परेशान करने वाले को भी परेशान नहीं किया हमारी मदर जब गाँव में निकलती थीं, तो छ:-सात हज़ार की बस्ती का गाँव, तो गाँव के सभी लोग, स्त्रियाँ वगैरह सभी खुश हो जाते थे इन्हें देखकर। इतना सुंदर घर कि कोई गालियाँ दे फिर भी बा हँसते थे, बहुत समता वाले। मैंने कभी भी ऐसा नहीं देखा कि बा ने किसी को परेशान किया हो। लोगों ने बा को परेशान किया होगा लेकिन बा ने उन्हें परेशान नहीं किया। प्रश्नकर्ता : हमारा उनसे थोड़ा-बहुत परिचय है लेकिन देखा कि अब तक मैंने ऐसे इंसान नहीं देखे। दादाश्री : ऐसे इंसान नहीं देखे। देखने को मिलेंगे ही नहीं न! ऐसी समता! ऐसी खानदानियत, ज़बरदस्त खानदानियत। लोगों को प्रेम से भोजन करवाने में ही खुद तृप्त हो जाते हमारी मदर खाना खिलाते समय हमेशा भूखी रहती थीं। तो
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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