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________________ उन्हें एक-एक बात पर हज़ारों विचार आते थे तो उस पर से हमें प्रश्न होता है कि कैसे विचार आए होंगे, अंदर कैसी समझ रहती होगी, लेकिन वास्तव में उन्होंने खुद ने जब ये बातें बताई तब उनका एनालिसिस देखने को मिला, हमें समझने को मिला कि 'ओहोहो! ऐसी डीप अन्डरस्टैन्डिंग (गहरी समझ)!' उन्होंने अपने जीवन में मिलने वाले व्यक्तियों की प्रकृति पहचानी, उन लोगों को उनकी प्राकृतिक कमजोरियों में से, बुरी आदतों में से किस तरह से छुड़वाया, जिसके बारे में पूरा गाँव और उसके परिवार के लोग नेगेटिव बोलते थे, उस व्यक्ति में कोई तो पॉज़िटिव गुण होगा ही, और अंत में खुद ने अपना समय और पैसा उस व्यक्ति के अच्छे गुण ढूँढकर उसे एन्करेज करके आगे बढ़ाने में लगाते थे। हमें उनकी वह मौलिक विशेषता देखने को मिलती है। उन्हें इस संसार में कुछ भी नहीं चाहिए था। जैसे कि खुद इस संसार का ऑब्जर्वेशन करने ही आए हों और 'मुझे जो मिला उसे सुखी बना दूं' ऐसी भावना से जीवन जिये, ऐसा खुले तौर पर समझ में आता है। उनके दिल में हमेशा यही रहता था कि किसी को दुःख नहीं देना है और दुःख नहीं देने के लिए वे सभी एडजस्टमेन्ट लेते थे। सभी के पॉज़िटिव ही देखे और खुद दुःखी भी नहीं हुए। परिस्थिति को समझकर प्रॉब्लम सॉल्व की हैं, वह उनके व्यवहार में दिखाई दिया है। व्यापार में भागीदार, नौकर, बॉस के साथ और परिवार जनों के साथ प्राकृतिक राग-द्वेष, प्राकृतिक दोषों के कारण जिस तरह सभी सामान्य लोग संसार में रहकर टकराव-मतभेद-चिंता-दुःख और भोगवटा (सुख या दुःख का असर) भुगतते हैं, वैसे ही दुःख-भय-नासमझी की उलझनें उन्होंने खुद ने भुगतीं और उनके परिणाम में से सही समझ द्वारा छूटे भी सही और आखिर में हमेशा के लिए दु:ख मुक्त हो सके। उनके जीवन में यह विशेषता देखने को मिलती है कि फादरमदर, बड़े भाई-भाभी, बुजुर्गों के प्रति उनका विनय और प्रेम हमेशा रहा है। उन्होंने कभी भी उनसे बड़े बनकर व्यवहार नहीं किया। 15
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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