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________________ [2.2] मैट्रिक फेल तय किया कि मुझे मैट्रिक में पास होना ही नहीं है क्या आसपास का सब स्टडी नहीं करना चाहिए? मैं तो बचपन से ही स्टडी करता था। सभी लोग जो लाइन लेते थे, हम वह लाइन नहीं लेते थे। घर से हमें सूबेदार बनाना चाह रहे थे लेकिन सूबेदार के सिर पर फिर वापस बॉस, हमें तो सिर पर कोई बॉस नहीं चाहिए था । प्रश्नकर्ता : आपके घर नौकर - नौकर नहीं थे ? दादाश्री : नहीं भाई । अन्डरहैन्ड रखूँ तो मेरे पर बॉस आएगा। मुझे नहीं पुसाएगा यह जगत्। 61 I अतः तभी से मैंने तो गाँठ बाँध ली, मैंने तय कर लिया कि हमें सूबेदार नहीं बनना है । इस वर्ल्ड में कोई डाँट दे, ऐसा पद मुझे नहीं चाहिए। बोलो, इतनी खुमारी ! क्या हो फिर ? अंतर श्रद्धा ऐसी थी न ! इसलिए फिर मैंने सोचा कि 'यदि मैं मैट्रिक में पास हो जाऊँगा तभी ये लोग मुझे सूबेदार बनाएँगे न ?' मैंने भी तय किया कि 'ये लोग मैट्रिक में पास करवाना चाहते हैं लेकिन हम पास होंगे तभी आगे कुछ होगा ! हमें पास ही नहीं होना है, आ जाओ'। मैंने सोचा, ' भाई अपने मतलब में हैं, पिता जी अपने मतलब में हैं, मैं अपने मतलब में हूँ' । मैं समझ गया कि अगर फेल नहीं होऊँगा तो ये लोग मुझे इंग्लैन्ड भेज देंगे। मैंने तय किया कि मैट्रिक में पास ही नहीं होना है न ! फिर कहाँ भेजेंगे ? यदि मैट्रिक पास हो जाऊँगा तब मुझे भेजेंगे न ? फेल हो जाएँगे तो भेजेंगे ही नहीं न! वह भारी पड़ेगा न ! फिर मैंने तय किया कि 'ये जो अपना तय कर रहे हैं तो हमें भी अपना तय कर लेना है । हमें फेल ही होना है' । अब उन दिनों हमारी उम्र पंद्रह साल की थी इसीलिए मैंने इन लोगों से कुछ नहीं कहा, लेकिन पढ़ाई में ढील दे दी। उसके बाद मैंने चित्त को अन्य चीज़ों में धकेल दिया। यानी मैंने तय किया कि फेल ही होना है मैट्रिक में ! इसलिए सब खुला छोड़ दिया।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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