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________________ 52 ज्ञानी पुरुष (भाग - 1) प्रश्नकर्ता : पढ़ने के लिए? दादाश्री : बाद में वे फिर से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'विलायत भेजेंगे और विलायत से पढ़ाई करके तीन साल बाद पास होकर डिग्री लेकर यहाँ आएगा तो यहाँ पर सूबेदार बन जाएगा। अपने परिवार में जो सूबेदार है न, वैसे ही इसे भी विलायत भेजकर सूबेदार बनाएँगे। यहाँ गायकवाड़ सरकार सूबेदार की ग्रेड देती है। पढ़ाई करके आने के बाद तुरंत ही उसे अच्छी, प्रोबेशनर की जगह मिल जाएगी, इस तरह सूबेदार बन जाएगा। फिर सूबेदार की तरह गायकवाड़ सरकार के यहाँ नौकरी करता रहेगा'। तो मेरे फादर और ब्रदर मुझे नौकरी में डालना चाहते थे I इसके पीछे उनकी क्या इच्छा थी ? सूबेदार बनाने में ? एय बड़ा ऑफिसर, कलेक्टर बनाने के लिए मुझे ऐसा कर रहे थे, सूबेदार - सूबेदार । जैसे कमिश्नर होता है न, गवर्नमेन्ट में, वैसे उन दिनों सूबेदार होते थे I हमारे बड़ौदा स्टेट में पहले सूबेदार बनते थे । एक प्रांत का सूबेदार, पूरे गाँव का ऊपरी (बॉस, वरिष्ठ मानिलक) होता था वह । उन दिनों तीन सौ रुपए की तनख्वाह मिलती थी, बड़ौदा स्टेट के सूबेदार को। बड़ौदा स्टेट था न, इसलिए सूबेदार बनाने का बहुत वह था। इस बड़ौदा स्टेट में हमारे कुटुंब के एक व्यक्ति थे चाचा के बेटे, हमारे भाई होते थे, छठी पीढ़ी में । उनका नाम था जेठा भाई नारण जी, वे मेरे फादर के भतीजे होते थे । वे सरकार में सूबेदार थे । अतः उन दिनों यह बहुत बड़ी डिग्री मानी जाती थी । 'सूबेदार साहब आए, सूबेदार साहब आए' इस तरह से वे मैट्रिक पढ़कर विलायत गए थे । वे विलायत जाकर ग्रेज्युएट हुए और सूबेदार बन गए थे। मेरे फादर और बड़े भाई की ऐसी इच्छा थी, सूबेदार बनाने की। उस समय मन में ऐसा लालच था कि इस भाई को सूबेदार बनाएँगे।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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