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________________ (२.२) गुण व पर्याय के संधि स्थल, दृश्य सहित २३५ समझ में आ सकता है ? समझना मुश्किल चीज़ है। और यह समारंभ तो आपको समझ में आ सकता है लेकिन ये पर्याय समझ में नहीं आ सकते। ___ इस चेतन के पर्याय चेतन ही होते हैं। चाहे कोई भी, कोई अज्ञानी हो, तो उसके भी चेतन के पर्याय चेतन ही होते हैं और अचेतन के पर्याय अचेतन ही होते हैं। देखो न, हमने पता लगाया है न! चेतन के पर्याय तक पहुँचना है न! बाहर भी कितने ही लोग यह बात करते हैं न! हमें, 'द्रव्य, गुण, पर्याय से शुद्ध हैं', ऐसा बोलना है। बाकी, द्रव्य भी समझ में नहीं आ सकता, गुण भी समझ में नहीं आ सकता और पर्याय भी समझ में नहीं आ सकता। यदि वह समझ में आ जाए तो केवलज्ञान स्वरूप में आ जाएगा!
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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