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________________ (१.७) छः तत्त्वों के समसरण से विभाव कि बेहद भाप बन रही है इस समुद्र में से। तब अगर हम समुद्र से कहें कि, 'तू भाप क्यों बना रहा है ?' तो समुद्र क्या कहेगा? प्रश्नकर्ता : अपने आप ही हो रहा है यह। दादाश्री : अपने आप कैसे हो सकता है? अब उसके लिए कौन गुनहगार है ? इसमें समुद्र गुनहगार है या सूर्य गुनहगार है ? किसके गुनाह से यह भाप बनी? समुद्र के पानी से जो भाप बनी, वह ? तब एक दिन यदि हम इस समुद्र को डाँटें कि 'तू भाप क्यों बनाता है यहाँ पर? बेकार ही दखल करता है। अब यहाँ पर भाप मत बनाना। तुझे बिल्कुल भी भाप नहीं बनानी है। तेरी बात तू जाने! देखना अगर भाप बनाई तो'! समुद्र में से भाप निकलती है, जिससे कि ये बादल बनते हैं इसलिए हम समुद्र को ब्लेम करते हैं कि 'तू भाप निकालना बंद कर दे। तब समुद्र हम से क्या कहेगा 'अरे, मुझ पर रौब मत जमा। यह मैं नहीं कर रहा हूँ और तुम बेकार ही मुझ पर आक्षेप लगा रहे हो। मैं तो निमित्त हूँ, मैं कुछ भी नहीं बनाता'। तब भी हम कहते हैं कि 'अरे, निरी भाप ही बन रही है न?' प्रश्नकर्ता : पता लगाना चाहिए कि किससे हुआ? दादाश्री : तब हम उलझन में पड़ जाते हैं कि यह समुद्र नहीं निकाल रहा है तो अन्य किसी कारण से होना चाहिए। तो भाई, यह कौन कर रहा है ? हू इज़ रिस्पोन्सिबल? (कौन ज़िम्मेदार है ?) तब हमें पता चलता है कि ओहो! यह समुद्र का गुण नहीं है। सूर्य की ही झंझट है यह सारी। ऐसा समझ जाते हैं न हम? तो हम किसे गुनहगार मानेंगे? सूर्य को मानेंगे। तो यदि समुद्र यह नहीं कर रहा है तो क्या इसका मतलब यह कि सूर्य गुनहगार है ? सूर्य था, तो उसने भाप बनाई है। यह समुद्र का गुण नहीं है। तब हमें वहम होता है कि यह सूर्य का ही काम है लेकिन सूर्यनारायण और समुद्र, दोनों एक साथ हों तभी भाप बनती है। तो यह किसकी शक्ति से होता है? __ प्रश्नकर्ता : यह भाप तो सूर्य की गर्मी और पानी में से उत्पन्न होती है ? अर्थात् ऐसा कहा जाएगा कि दोनों की शक्ति से भाप बनी।
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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