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________________ [ २१४ ] से भिक्खू वा० तहेव गंतुमुज्जाणाई पव्वयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ले पेहाए नो एवं वइज्जा, तं० - पासायाजोग्गाति वा तारणजोग्गाइ वा गिजोग्गाइ वा फलिहजो ० अग्गलजो० नावाजो० उदग० दोणजो० पीढचंगबेर नंगलकुलियजंत लट्ठीनाभिगंडी आसणजो० सयणजाणउवस्तयजोगाई वा, एयप्पगारं० नो भासिज्जा ।। से भिक्खु वा० तहेव गंतु० एवं वइज्जा, तंजहा -जाइमंता इ वा दीहवट्टा इ वा महालया इ वा पंयायसाला इ वा विडिमसाला इ वा पासाइया इ वा जाव पडिरूवाति वा एयपगारं भासं असावज्जं जाव भासिज्जा ॥ से भि० बहुसंभूया वणफला पेहाए तहावि ते नो एवं वइज्जा, तंजहापक्का इ वा पायखज्जा इ वा वेलोइया इवा टालाइ वा वेहिया इवा, एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा ॥ से भिक्खू० बहुसंभूया वणफला अंबा पेहाए एवं वइजा, तं० - असंथडाइ वा बहुनिवट्टिमफला इ वा बहुसंभूया इ वा भृयरुचित्तिवा, एयप्पगारं भा० असा० ॥ से० बहुसंभूया ओent der तहावि ताओ न एवं वइज्जा, तंजहा -- पक्का इ वा नीलीया इ वा छवीइया इ वा लाइमा इ वा भज्जिमा इ वा बहुखज्जा इ वा, एयप्पगा० नो भासिजा || से० बहु० पेहाए तहावि एवं वइज्जा, तं० - रुढा इ वा बहुसंभूया इ वा थिराइ वा ऊसढाइ वा गब्भिया इवा पसूया इवा स सारा इवा, एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासि० ॥ ( सू० १३८ )
SR No.034253
Book TitleAcharanga Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManekmuni
PublisherMohanlal Jain Shwetambar Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages371
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & agam_acharang
File Size21 MB
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