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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञान प्रसार पुस्तकमाला के प्रचार-प्रसार में इस प्रकार सहयोगी बनें 0 १०१ रुपये देकर स्वयं सदस्य बनें और १०८ पुस्तकें प्राप्त करें। प्रत्येक माह औसतन एक पुस्तक का प्रकाशन । अपनी ओर से सार्वजनिक पुस्तकालयों, स्कूलों, धार्मिक पाठशालाओं, जैन स्थानकों, मन्दिरों, स्वाध्याय संघों को सदस्य बनाकर पुस्तकें भिजवायें । पुस्तकें हम आपके नाम की मोहर लगाकर परिषद् के डाक व्यय पर सम्बन्धित पुस्तकालयों व संस्थाओं को नियमित भिजवाते रहेंगे। - तपस्या, जयन्ती, पुण्यतिथि, विवाह, पर्वतिथियों व विशेष शुभ अवसरों पर प्रभावना के रूप में अधिक से अधिक पुस्तकें वितरित करें। १०० और उससे अधिक पुस्तकें मंगाने पर २५% कमीशन दिया जायेगा। २५०० रुपये, प्रति पुस्तक के प्रकाशन में अर्थ सहयोग प्रदान कर तथा तीसरे कवर पृष्ठ के लिए विज्ञापन देकर श्रुत-सेवा का लाभ उठावें। राशि मनिआर्डर या ड्राफ्ट से 'श्री अखिल भारतीय जैन विद्वत् परिषद्' के नाम सी-२३५ ए, तिलकनगर, जयपुर-३०२००४ के पते पर भेजें। For Private and Personal Use Only
SR No.034243
Book TitleMrutyu Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP M Choradia
PublisherAkhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad
Publication Year1988
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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