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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यही दुःख प्रकट करने का या सान्त्वना देने का तरीका है ? चिन्तनशील समाज का कर्तव्य है, ऐसी प्रथाओं का समूल विनाश करे। ३. मृत्यु-भोज : यह आज की कैसी विडम्बना है कि मृत्यु होने पर मालमसाले उड़ाये जाएँ। घर में शोक का मातम छाया रहता है और दूसरी ओर शोक-मिलन अथवा स्वामी-वत्सल का नाम लेकर सैकड़ों, हजारों व्यक्तियों के भोज का आयोजन करना तथा उन्हें खिलानापिलाना ? अपने इष्ट मित्रों, परिवार तथा सम्बन्धियों को खिलाने-पिलाने के कई अवसर आते हैं, जिनमें उनको आमन्त्रित किया जा सकता है। इस प्रथा का सबसे बुरा असर सामान्य आय वाले गरीब परिवारों पर पड़ता है। आज हमारे देश में करोड़ों ऐसे परिवार हैं जो गरीबी के नोचे की रेखा में अपना जीवनयापन करते हैं लेकिन वे भी अपने परिवार के मुखिया का मृत्यु भोज तो अवश्य आयोजित करेंगे। उनको इस आयोजन के लिए अपने जमीन, जायदाद, गहने, बर्तन वगैरा तक धरोहर के रूप में रखने पड़ते हैं। एक बार ब्याज के बोझ से दबने के बाद जीवन भर यह बोझा ढोते रहते हैं और कर्जदार बने रहते हैं । इस प्रकार एक ओर उन परिवारों को For Private and Personal Use Only
SR No.034243
Book TitleMrutyu Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP M Choradia
PublisherAkhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad
Publication Year1988
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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