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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आसान और सुखद है।" मरते समय गेटे ने कहा 'अधिक प्रकाश, अधिक प्रकाश !' तुकाराम महाराज 'राम कृष्ण हरि' गाते-गाते ही मर गये । गुरु समर्थदास ने कहा "क्यों रोते हो? मेरा 'दास बोध' तो है।" फ्रांसीसी कवि पाल स्केरन ने भी मृत्यु के अन्तिम क्षणों में कहा था- "मुझे ज्ञान न था कि मरना इतना आसान है। मैं मृत्यु पर हंस सकता हूँ।' लोकमान्य तिलक “यदा-यदा हि धर्मस्य' वाला श्लोक बोलते-बोलते ही चले गए। प्लेटो मर रहा था। सारे शिष्य व मित्र इकट्ठ थे। किसी ने पूछा'जीवन भर आप उपदेश देते रहे। आज अन्तिम समय उनका सार बताइये।' प्लेटो ने आँख खोली और कहा 'सारे जीवन मैंने एक ही बात सिखाई है और वह हैमरने की कला।' शम्स तबरंज साहब ने जो भाव अन्तिम समय में कहे, उसका भावार्थ है : "जब मेरा शरीर शान्त हो जाए और लोग मेरा जनाजा उठाकर चलें तो पल भर के लिए भी यह नहीं सोचना कि मुझे मरने का कोई दुःख या अफसोस हैं।" "जब तुम मेरा जनाजादेखो तो एक बार भी मेरे लिए जुदाई या फिराक का शब्द न कहना क्योंकि मैं तो खुदा से मिलने जा रहा हूँ, यह मेरे लिए जुदाई का नहीं विसाल का दिन है, खुदा से मिलने का दिन है।" For Private and Personal Use Only
SR No.034243
Book TitleMrutyu Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP M Choradia
PublisherAkhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad
Publication Year1988
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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