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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनाई जाती हैं, मिठाइयाँ बांटी जाती हैं, चारों ओर हष, आनन्द और उल्लासमय वातावरण छा जाता है, दूसरी ओर जब मृत्यु होती है तो घर और परिवार में मातम छा जाता है, सभी उदास हो जाते हैं । निकट के सम्बन्धी व इष्टजन रोने-पीटने लग जाते हैं और घर में नाटकीय वातावरण छा जाता है। ऐसा सब क्यों होता है ? मृत्यु एक निश्चित घटना है। जो जन्म लेता है, वह कभी न कभो मृत्यु को प्राप्त अवश्य करेगा। अतः हम किसी सम्बन्धी या मित्र की मौत पर इसलिए चीखते हैं कि हमें उससे जो सुख मिलता था, अब कहाँ से मिलेगा ? आत्मा अजर, अमर है और शरीर तो एक दिन जरूर नष्ट होने वाला है, इसलिये मौत का शोक किसी तरह उचित नहीं है । 'गुरु ग्रन्थ साहब' में क्या ही सुन्दर कहा गया है चिंता ताकी कीजिए, जो अनहोनी होय । एह मार्ग संसार का, नानक थिर नहीं कोय ।। दूरदर्शन पर रामायण की एक सीरिज में श्रीराम द्वारा बाली को मारने का प्रसंग बताया गया। जब राम ने सुग्रीव के भाई बाली को तीर मारकर मौत के घाट उतार दिया, तो बाली की पत्नी तारामती विलाप करती हुई श्रीराम के पास आई । श्रीराम ने कहा- "देवी ! यह शरीर तो पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन For Private and Personal Use Only
SR No.034243
Book TitleMrutyu Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP M Choradia
PublisherAkhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad
Publication Year1988
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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