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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जम्नु गरिन । बेटा सुन मेरी यात, मेरी सोतिनका , जात ॥११ तें मेरा सुसरा विख्यात, निज देवरका तूहें तात ए पटनाता गुरुणी कही, कुबेरदत्तसं लागी सही १२॥ खटनाता चेम्यासुं कहें, तूंनो मेरी माता रहें मु0 जनी तातें तूं मात, कुबेर दत्ता कहती बात १३ ॥ जे नाते दादी लगी, मेरे तातको माता सगी। तीजे नाते जानी जान, निज जाइकी बहू निदान ॥ १५ ॥ चौथे नाते मेरी बहू, कुबेरदत्ता कहती सहू । तूं सौतिन सुतकी जारजा, तातें बहू कही थारजा ॥ १५ ॥ पांचे नाते सासू कही मेरे पतिकी माता सही। बडे नाते सौतिन लगी मेरे पतकी पतनी सगी ॥ १६ ॥ षटनाता माता सुं करी, वेस्या सुनके कोपी खरी । ए गुरणी ऐसी किम लवे, तव पेश्की कहती सवे ॥ १७ पेश्की सव जानी बात, बेस्या मनमे बहुत खजात बैराग पामी दिक्षा लिया, तव बेस्याने बहु तप किया ॥ १७ ॥ थितपूरी कर देवत हुई, कहें जम्बू प्रजव तुम जुर्छ । ऐसा नाता है संसार सुद्ध चेतना उतरें पार ॥ १ए ॥ ( दोहा ) प्रनक कहें जम्बू प्रतें पुत्र होय तुक एक । तद तुम For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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