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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२० परदेशी राजाकी चौपाइ। सेतो श्रणबोले उठी गयो, राणीने न दीयो जवाबरे । तब राणी मन जाणीयो, हा हा म्हारी जासी थावरे ॥ तुमे ए१ ॥ में तो कह्यो थो हित नणी, कुमरने नावि दायरे। वाहेर वात हुवा थका, मुऊ पडे गलेमें आयरे। तुमे ए॥ कुमर कदे रखे रायने, म्हारी गनी रहे नहीं वातरे । जब लग कोट मिले नहीं, तो लुंकतनी करूं घातरे ॥ तुमे ए३ ॥ एतो अबला गति नारी तणी, इण कोइ न मानी वातरे। इतनो मन नहीं सोचीयो, म्हारा खाली हो जासी हाथरे ॥ तुमे ए४ ॥ श्म मन मांहि विचारने, कद राय एकलो देखरे । एतो बिमादिक जोती फिरे, देखी राजाने एकंतरे ॥ तुमे० ए५ ॥ एतो हाथ जोडीने श्म कहे, मोपे कृपा करो महारायारे । थारे बेलानो पारणो, जिको मौन रहिज्यो श्राजरे ॥ तुमे ए६ ॥ एतो मुख उपर मीठी घणी, मांडे बै बहुली प्रीतरे। मांहि घात खेले घणी, एतो दुश्मन केरी रीतरे ॥ तुमेक ए ॥ कुण माता कुण जे पिता, कुण नारी कुण जायरे। डील वस्त्र वैरी दुवे, जब कर्म उदय For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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