SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११४ परदेशी राजाकी चौपाई। ज्यांरा पाका खेतोरे, रसरो बहु चालारे, वहे घाणीरा नालारे, नित काक ऊमालाहो, जीड लगी रहेरे ॥ ४३ ॥ इकु पीलीअरे, खाजेने दीजेरे, रस बहुला पीजेरे, देखी २ ने रीजरे, जब मागे रमणिक हो, खेत सुहामणरे ॥ ४ ॥ खाइ पाइने थायारे, ठिकाणे लगायारे, सुना हुवा खेतोरे, मांहे कडे रेतोरे, अरमणिक इण हेतो हो, राजा में कह्यारे ॥ ४५ ॥ बागा गहरी बायारे, मांजरीया यारे, घणो फूल्यो फलीयोरे, फल नारे ढलीयोरे, जब लागे रमणिक हो, बाग सुहामणोरे ॥४६॥ केश श्रावने जावरे, बहु चीजां खावेरे, पामे झतु शातारे, पान नीलांने रातारे, श्ण कारण रमणिक हो, लागे सुहामणरे ॥ ४ ॥ फागुण वाय वागेरे, पान जडवा लागेरे, निकल गया डासारे, फल नहीं रसालारे, अति काला डंकाला हो, बाग अशोजतारे ॥ ४ ॥ नटवानी शालारे, गावे गीत रसालारे, बाजा ताल बजावरे, बहु देखन थावरे, नटशाला सुहावे हो, राजन् अति घणीरे ॥ ४ ॥ जससुं मुख नावरे, हरताल लगावरे, स्वांग For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy