SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परदेशी राजाकी चौपाइ । ए, थारे मुखे तें कह्यो ए ॥ २५ ॥ में निकल्या कदाग्रह बंडने ए. परखदा सारु दंडने ए । तुं प्रश्न पूढे वांकडो ए, जे क्रोध व्यापणनो टांकणो ए ॥ २६ ॥ न करे वीतराग वैर ए, पण बद्मस्थांरी लहेर ए । मोसुं वांकी चरचा करी घणी में जड मूरख कह्यो तुक जणी ए ॥ २७ ॥ तब वलतो बोल्यो राय ए, सुणजो स्वामी म्हारी वाण ए । हुं पहिले प्रश्न बुकियो ए, म्हारो कर्त्तव्य थाने सुकियो ए ॥ २८ ॥ म्हारी कही मनोगत बात ए, तबदी समज्यो स्वामीनाथ ए । हुं खडी तेढी आणतो ए, प्रश्न पूजया जाणतो ए ॥ २९ ॥ ज्ञान तणी प्राप्ति जणी ए, में वांकी चरचा करी घणी ए| ज्युं २ पुढवाड की तरे ए, जिन धरमनी खबर पडी ए ॥ ३० ॥ हुं जाएं जीव जीव ए, समकित चारित्रनी नीव ए। मैं मन विचार इसडो कियो ए, ढुं जाने वांको वर तियो ए ॥ ३१ ॥ जाणपणे सुधरे काज ए, एटले बोल्या मुनिराय ए । राय जाणे तुं एटला ए, व्यापारी चाव्या केंटला ए || ३२ ॥ जाएं हुं स्वामी चार ए, ज्यारा न्यारा ‍ * For Private and Personal Use Only ९९
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy