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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ascexas, Bemargemas.genas,cenas,senascer, हीरसूरीश्वरजी म. सा. और इतिहास ॐ बादशाह अकबरको वि. सं. १६३९ में आचार्य विजयहीर सूरीश्वरजी ने प्रतिबोध दिया था । बाद नौ वर्ष तक उनके विद्वान साधु बादशाह को उपदेश देते रहे । तब जिनचंद्रसूरि वि. सं. १६४८ में बादशाह अकबर से मिले थे । पाठक स्वयं सोच सकते है कि बादशाह अकबर को प्रतिबोध आचार्य विजयहीरसूरिने दिया था या जिनचंद्रसूरि ने ? यदि यह कह दिया जाय कि जिनचंद्रसूरि को बादशाह के पास जाने का सौभाग्य मिला यह विजयहीरसूरि का ही प्रताप है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है कयोंकि उन्होंने पहिले से बादशाह को जैनधर्म का अनुरागी बना रखा था । ॐ विजय हीरसूरि को बादशाह भक्ति पूर्वक आमंत्रण का फरमान अहमदाबाद के सूबेदार को भेजता है और उनके विहार के समाचारों की प्रतीक्षा कर रहा है । ॐ विजय हीरसूरि के दर्शन के लिये बादशाह आगरा से फतेहपुर आता है। सम्राट अकबर प्रतिबोधक जगद्गुरू हीरविजयसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य विजयसेनसूरिजीने लाखों जिनप्रतिमाओं की स्थापना की थी... देवनगरी-देवास में श्री शंखेश्वर-पार्श्वनाथ प्रभुकी प्रतिमाजी, विजयसेनसूरिजी म. सा. द्वारा अंजन प्रतिष्ठा की हुई है । SHREEKDSEBSRDSHEDERABSFETRIBHASTRIBSITESTRBSEBSRDSHABAD 601 For Private and Personal Use Only
SR No.034239
Book TitleJjagad Guru Aacharya Vijay Hirsuriji Maharaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhratnavijay
PublisherJagadguru Hirsurishwarji Ahimsa Sangathan
Publication Year
Total Pages83
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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