SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Samas,coelas, yaa.soxas,Sexas, 325, 2x29,83 || वन्दे श्री हीरजगद्गुरूम् ।। मुनिराज श्री दर्शन विजयजी (त्रिपुटी) कृत जगद्गुरू शासन सम्राट अकबर प्रतिबोधक श्रीमद् विजय हीरसूरीश्वर की बड़ी पूजा प्रथम जल पूजा............... ..................दोहा जय जय सुमति जिणंदजी, जय सुपारर्व जिणंद । जय जय आदिश्वर प्रभो, जय जय पार्व जिणंद || १ ।। जय सूरि वाचक मुनि, जिन शासन शणगार जय गुरू हीर सूरीश्वरा, युग प्रधान अवतार जय चारित्र विजय गुरू, चरणमें शीष नमाय जग गुरू की पूजा रचु, सब ही को सुखदाय (तर्ज-आओ आओ आदीश्वर बाबा, गृही इक्षु रसदान) आवो आवो प्यारे सज्जन, करो गुरू गुणगान || टेर || महावीर के पाट परंपर हुए श्री युग प्रधान । वचन सिद्ध और उग्र तपस्वी, जगत्चन्द्र सूरि जाण आवो || १ || जिनके चरण में शीष जुकावे, मेदपाट का राणा तपा तपा कहके बुलावे, जैत्रसिंह बलवान || २ ।। श्री देवेन्द्रसूरीश्वर त्यागी, देव पूज्य श्रुतवान कर्म ग्रन्थ आदि शास्त्रोका, किया जिनने निरमाण || ३ ।। दादा साहेब धर्मघोष सूरी, त्यागी युगप्रधान महामंत्र वादि व प्रभाविक, हुये धर्म के प्राण || ४ ।। देवपतन में मंत्र पदों से, सागर रत्न प्रधान । गुरू के चरणों में उच्छाले, रल ढेर को पान ।। ५ ।। निर्धन पथेड जिनकी कृपा से बने बडा दिवान शासन का झन्डा फहरावे, गुरू कृपा बलवान ||६|| जिनके वचन से यक्ष कपर्दी, छोडे मांस बलिदान । सेवक होकर शत्रुजय, पर पावे अपना स्थान ।। ७ ।। SHESDPROTHESEPISODERSTOREBSITESHESSIPSMEETPRASHASSPIRECBSPAD 48 For Private and Personal Use Only
SR No.034239
Book TitleJjagad Guru Aacharya Vijay Hirsuriji Maharaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhratnavijay
PublisherJagadguru Hirsurishwarji Ahimsa Sangathan
Publication Year
Total Pages83
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy