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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११४ तीसरी आरती दश यति धरम की तप निरमल उद्धार करण की ।। आ० ॥ ३॥ चौथी संयम श्रत धरम की शुद्ध दया रूप धरम बरधण की ।। आ०॥४॥ पांचमी सभी सद्गुण ग्रहण की दिन दिन जस परताप करण की ।। श्रा० ॥ ५॥ एह विध आरती कीजे गुरुदेव की स्मरण करत भवि पाप हरण की ॥ श्रा० ॥६॥ श्री जगद्गुरु स्थापना मंत्र १ आह्वाहन मंत्र- (आह्वाहन मुद्रा करके बोले) ॐ ह्रो श्री अह युग प्रधान भट्टारक श्री हीरविजय सूरिश्वर जगद् गुरो ! अत्र अवतर अवतर स्वाहा । २ स्थापना मंत्र- (स्थापना मुद्रा करके बोले) ___ ॐ ह्री श्री श्री अहं युगप्रधान भट्टारक श्री हीरविजय सूरि जगद् गुरो ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठ ठःस्वाहा। सन्निधि करणमंत्र ॐ ह्री श्री अहं युगप्रधान भट्टारक श्री हीरविजय सूरि जगद् गुरो ! मम सन्निहितो भवभव वषट् स्वाहा । जगद्गुरु को अष्ट प्रकारी पूजा की सामग्री १पंचामृत कलश ५ दीपक २ केशर चंदन ६ अक्षत ३ फूल फूलमाला ७ नैवेद्य ४ धूप ८फल For Private and Personal Use Only
SR No.034238
Book TitleJagad Guru Hir Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyanandvijay
PublisherHit Satka Gyan Mandir
Publication Year1963
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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