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________________ १४ कायोत्सर्ग करना, (१४) आसन लगाना, (१५) धर्मदेशना देना, (१६) बाचना देना, (१७) बाचना लेना - यह १७ बोल जलाश्रय पर न करने के लीये है । (२३) साधु साध्वयों को सचित्र - अर्थात् नाना प्रकार के चित्रोंसे चित्रा हुवा मकानमें रहना कल्पे नहीं । भावार्थ - स्वाध्याय ध्यानमें वह चित्र विघ्नभूत है, चित्तवृत्तिको मलिन करनेका कारण है । (२४) साधु साध्वीयोंको चित्र रहित मकान में रहेना कल्पै | जहांपर रहनेसे स्वाध्याय ध्यान समाधिपूर्वक हो सके। (२५) साध्वीयोंको गृहस्थोंकी निश्रा विना नहीं रहेना, अर्थात जहां आसपास गृहस्थोंका घर न हो ऐसे एकांतके मकान में साध्वीयोंको नहीं रहेना चाहिये । कारण- अगर केह ऐसेभी ग्रामादि होवे कि जहांपर अनेक प्रकारके लोग वसते है, अगर रात दिनमें कारण हो, तो किसके पास जावे । बास्ते आसपास गृहस्थोंका घर होवे, ऐसे मकाम में साध्वीयोंको रना चाहिये । (२६) साधुवोंको चाहे एकान्त हो, चाहे आसपास गृहस्थोंका घर हो, कैसाही मकान हो तो साधु ठहर सके। कारण - साधु जंगलमें भी रह सकता, तो ग्रामादिकका तो कहना ही क्या ? पुरुषकी प्रधानता है। (२७) साधु साध्वीयोंको जहां पर गृहस्थोंका धन-द्रव्य,
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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