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________________ अनुभोगकर चवेगी वह महाविदेह क्षेत्रमें उत्तम जातिकुलमें अवतार लेगी वहां भी केवली प्ररूपित धर्म स्वीकार कर कर्मशत्रुवोका पराजय कर केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष जावेगी । इति चतुर्थाध्ययनं समाप्तम् । (५) अध्ययन-भगवान वीरप्रभु राजग्रहन करके गुणशी. लोद्यान में विराजमान है परिषदाका भगवानकों वन्दन करनेको जाना भगवानका धर्मदेशना देना यह सब पूर्ववत् समझना। उस समय सौधर्म कल्पके पूर्णभद्रवमान में पूर्णभद्रदेव अपने देव देवीयोंके साथ भोगविलास नाटक आदि देव संबधि सुख भोगव रहाथा। पूर्णभद्र देव अवधिज्ञानसे भगवानकों देखा सूरियाभदेवकि माफीक भगवानकों वन्दन करनेकों आना. बतीस प्रकारका नाटक कर पीच्छा अपने स्थानपर गमन करना । गौतमस्वामिका पर्वभव पृच्छाका प्रश्न करना. उसपर भगवानके मुखाविन्दसे उत्तर का देना यह सर्व पूर्वकि माफिक समझना । ___ परन्तु पर्णभद्र पूर्वभवमें । मणिवति नगरी चन्द्रोत्तर उद्यांन. पूर्णभद्र नामका घडा धनाढ्य गाथापति. स्थिवर भगवानका आगमन. पूर्णभद्र धर्मदेशना श्रवण करना जेष्ट पुत्रकों गृहभार सुप्रतकर आप दीक्षा ग्रहन करके इग्यार अंगका ज्ञानाभ्यासकर अन्तिम आलोचना पुर्वक एक मासका अनसन कर समाधि पुर्वक काल कर सौधर्म देवलोकमे पुर्णभद्र देव हुवा है। हे भगवान! यह पुर्णभद्र देव यहांसे चवके कहा जावेगा? हे गौतम! महा विदहक्षेत्रमें उत्तम जाति कुलके अन्दर जन्म धारणकर केवली परूपीत धर्मको अंगीकार कर, दीक्षा धारणकर. केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष जावेगा. इति पांचमाध्ययन समाप्तम्।
SR No.034234
Book TitleShighra Bodh Part 16 To 20
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRavatmal Bhabhutmal Shah
Publication Year1922
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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