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से आयुष्य पुर्ण कर महाविदेह क्षेत्रमें मोक्ष जावेगा नववां और दशai श्रावकको उपसर्ग नही हुवा था । इतिशम् ।
॥ इति दश श्रावकों का संक्षिप्ताधिकार समाप्तं ||
ग्राम.
श्रावक.
भार्यानाम. द्रव्यकोड.
वाणीयाग्रांम आनन्द
चम्पापुरी कामदेव भद्रा
बनारसी
चुलनीपिता सोमा
बनारसी सूरादेव धन्ना
आरंभीया
चुलशतक बहुला
कपिलपुर
कुंडकोलीक फुसा
पोलासपुर
शकडाल अग्रमित्ता
राजगृह
महाशतक रेवत्यादि१३२४ सावत्थी नन्दनीपिता अश्वनी १२
सेवानन्द
१८ "
१२ कोड ४०००० अरुण
६००००) अरुणाभ
८००००) अरुण प्रभा
そ
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मात्थी शालनिपिता फाल्गुनी १२
१८ ६०००० अरुणवन्त
१८ ६०००० अरुणश्रेष्ट
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१८ ६०००० अणध्वज दिवसेचचा
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गोकुल ( गायों )
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मान नाम. उपसर्ग.
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देवकृत
१०००० अरुणभूत देवकृत
८०००० अरुणवन्तेस रेवंतीका
४०००० अणग्रव
४०००० अणकील
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आचार्य सबके वीरप्रभु है गृहवासमें श्रावक व्रत सादाचौदे वर्ष प्रतिमा साढापांच वर्ष एवं सर्व बीस वर्ष श्रावक व्रत पालन कर एकेक मासका अनसन समाधिमें कालकर प्रथम सौधर्म देवलोक च्यार पल्योपमस्थिति महा विदेहक्षेत्र में मोक्ष जावेगा ! इतिशम्
इति उपासगदशांग सार-संक्षप्त समाप्तम्