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________________ (६९) (४) तेजस शरीरका दो भेद-बंधेलगा और मूके. सगा. जिसमें बंधलगा अनन्ते हैं. कालसे एकेक समय एकेक सेबस शरीर निकाले तो अनन्ती उत्सर्पिणी, अवसर्पिणी, व्यतीत क्षेती है. क्षेत्रसे-एकेक तेजप शरीर एकेक आकाशप्रदेश पर रखे तो लोक जैसे अनन्ते लोक पूर्ण होते हैं. द्रव्यसे-सिद्धोंसे अनन्त गुणे सर्व जीवके अनन्त में भाग हैं. कारण सिद्धोंके तेजस शरीर नहीं हैं इसलिये अनन्तमें भाग कम कहा और मुकेलगा अनन्ते हैं। काल, क्षेत्र पूर्ववत् द्रव्यसे सब जीवोंसे अनन्त गुणे, और सर्व जीवों का वर्गमूल करनेसे अनन्तमें भाग कम, वर्ग उसे कहते हैं के बराबरी की संख्याको परस्पर गुणा करना । (५) कार्मण शरीरके दो भेद-तेजस् शरीखत् समझ लेना, कारन तेजस शरीर है वहां कार्मण शरीर नियमा है इसलिये बराबर समझना । . इति समुचय जीव. - नारकीमें औदारिक, आहारक शरीरका बंधेलगा नहीं हैं और मूकेलगा अनन्ते हैं। समुच्चयवत् और वैक्रीयका दो भेद हैंबंधेलगा और मूकेलगा. जिसमें बंधेलगा असंख्याते हैं. काल से-असंख्याती उत्सर्पिणी अवसर्पिणी, क्षेत्रसे–चौदह राजलोकका पन चौतरा सात राज प्रमाण हैं, उसके एकप्रदेशी श्रेणीका परतर जीजे जिसमें विषम सूचि अंगुल क्षेत्रमें जितने प्रकाशप्रदेश भावे उसके प्रथम वर्गमूलको दूसरे वर्गमूलसे गुणा करे उतना हैं, याने असत्य कल्पनासे २५६ भाकाशप्रदेश हैं उसका
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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