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________________ (१२) निकलनेका भी सूत्र कहना, परन्तु सिद्धोंका प्रश्न नहीं करना क्योंकि सिद्ध पीछे नहीं पाते हैं। नारकीके नैरिये एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? एक समय १-२-३ यावत् संख्याते असंख्याते उत्पन्न होते हैं. एक पांचस्थावरवर्जके शेष १६ दंडक समझना । पांचस्थावरमें प्रतिसमय भसंख्याते उत्पन्न होते हैं किन्तु वनस्पतिकायमें स्वकायापेक्षा प्रतिसमय अनंत भी उत्पन्न होते हैं. इसी माफिक चौवीस दंडकका चषण द्वार भी समझना किन्तु सिद्ध भगवान् उत्पन्न होते हैं पर चवते नहीं हैं. कौनसे दंडकके जीव परभवका आयुष्य किस समय बांधते हैं ? नारकी, देवता और युगल मनुष्य अपने आयुष्यके शेष ६ मास रहनेपर परभवका आयु बांधते हैं और वह सब निरूपकमी होते हैं. शेष जीवोंका आयुष्य दो प्रकारका है-एक सोपक्रमी, दूसरा निरुपक्रमी. जो निरुपक्रमी होता है. वह नियमा अपने आयुष्यके तीजे भाग अर्थात् दो भाग आयुष्य बीतजानेपर तीजे भागकी सुरुमें परभवका भायुष्य बांधते हैं; और सोपक्रमी श्रायुष्यवाले जीव तीजे भाग नौ भाग सतावीसमें भाग इकीयासीमें भाग २४३ में भाग यावत् भायुष्यका शेष अन्तरमुहूर्त रहतेहुवे परभवका प्रायुष्य बांधते है. आयुष्यकर्मके साथ छ बोलोका और भी बंध होता है. (१) जातिनाम एकेन्द्रियादि (२) गतिनाम=नरकादि (३) स्थितिनाम=अन्तर मुहूर्त से यावत् ३३ सागर.
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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