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________________ (५०) ज० स्थिति पुगल म. " " उ० , , ज. काला गुण पुद्गल २ म० " " ,६४ ४ २०१० एवं पांच वर्ण पांच रस भी समझना. ज० सुरभिगंध पुद्गल २ तु. ६ | ४|४|१ तू १८ occo oc cccc ce명 경 उ. " " उ० , , , ३ | ४ | ४ १ तू १८ एवं दूगिन्ध तथा ८ स्पर्श भी समझ लेना. सेवं भंते से भंते तमेव सचम्। थोकडा नं. १४१ श्री पन्नवणा सूत्र पद ६ (विरहद्वार) जिस योनि में जीव हैं वह उस योनि से निकल कर मना योनि में जावे । अगर उस योनि से नहीं निकले तो कितने कार तक नहीं निकले । यह इस थोक द्वारा बतलावेंगे | सब योनि में जघन्य एक समय का विरहकाल हैं, उत्कृष्ट नीचे प्रमाणे समुच्चय चारगति, संझीमनुष्य, संज्ञीतियंचमें निकलनेका विरह पड़े तो उत्कृष्ट १२ मुहूर्त । पहिलीनारकी, १० भुवनप्रति १ व्यंतर, १ ज्योतिषी, सौधर्म, ईशान दे० और असंझी मनुध्य में २४ मुहूर्त का विरहकाल हैं।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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