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________________ ( ३१ ) २० तथा १२ उपयोग की समझनी, वह अंतके कोष्टक में ( ६ ) का अंक रखा गया है जिसका विवरण नीचे देखो १ अनन्तमें भागन्यून | अनन्तमें भागाधिक । २ असंख्यातमें भागन्यून | असंख्यातमें भागाधिक 1 ३ संख्यातमें भागन्यून | संख्यातमें भागाधिक | ४ संख्यातमें गुणन्यून । संख्यातमें गुणाधिक । ५ असंख्यात गुणन्यून असंख्यातमें गुणाधिक । ६ अनन्त गुणन्यून | अनन्तमें गुणाधिक । यह षट्गुण हानिवृद्धि है जिसको शास्त्रकारोंने 'बट्ठाएaire ' कहते है और कोष्टकमें ४-३-२-१ का अंक स्थिति 'या अवगाहनामें रखा जाता है वहां का सकेत | नम्बर १-६ को छोड देना से चौठा वडिए । न० १-६-२ छोडने से तीठाण वडिए । न० १-५ - ६ छोडने से तीठाण बडिए । न० १-२ - ५ - ६ छोडनेसे दुठाण वडिए । न० १-२-३-५-६ छोडने से एक ठाण वडिए । विशेष खुलासा विद्वानों से रूबरू करने से अधिक लाभ होगा । * उपयोग १२ है वह जिस बोलमें जितना पावे वह कह देना समझना ।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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