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________________ ( २८ ) जिनका संक्षिप्त से ५६० भेद हैं । इन सबको द्रव्य, क्षेत्र, न और भाव ये चार भेद करके अलग २ बतलावेंगे जैसे द्रव्य परमाणु, द्विप्रदेशी यावत् अनंत प्रदेशी, क्षेत्र-एक आकाशप्रदे शसे यावत् असंख्याताकाशप्रदेश । काल-एक समय के स्थितिसे यावत् असंख्यात समयकी स्थिति । और भावं से वर्णादि २० बोलबाले । जिसमें एक गुणसे यावत् अनन्तगुण पर्यन्त अनन्तेभेद है । वे सब इस थोकड़ाद्वारा पाठकोंको ऐसी सुगम रीतिसे बतलावेंगे, कि हरेक ज्ञानप्रेमी थोड़े परिश्रमरे लाभ उठा सके। परंतु इस थोकड़ा का रहस्य बहुत गंभीर है. इसलिये पाठकवर्ग पहिले गहनदृष्टिद्वारा इसको समझ ले, क्योंकि इस थोकड़ा का भाषारुपसे विस्तारपूर्वक न लिखकर यंत्ररुप से ऐसा सुगम बनाकर लिखा है; कि कंठस्थ करनेवालों के लिये बहुत ही लाभदायक मौर उपयोगी है। परन्तु पहिले इस यंत्रको समझने के लिये जो नीचे परिभाषा लिखी जा रही है उसको अच्छी तरह समझ लेना चाहिये । विना परिभाषाके समझे यंत्र से इतना लाभ न होगा। इसलिये परिभाषाका समझना भावश्यकीय है। ___ पजवा-पर्यव-पर्याय-विभाग-हिस्सा यह सब एकार्थी हैं। प्रश्न-हे भगवान् ! पज्जवे कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकारके-जीवपज्जवा और अजीवपज्जवा । जीवपज्जवा क्या संख्याते, असंख्याते, या अनन्ते हैं ? गोतम ! संख्याते, असं. ख्याते नहीं किन्तु अनन्ते हैं। क्योंकि असंख्याते नारकी, असंख्याते भवनपति, असंख्याते पृथ्वीकाय, असंख्याते अपकाय,
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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