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________________ जेसे पृथ्वी योनियावृक्षसे २१ अलापक हुवे है इसी माफीक उदक (पाणी) योनियावृक्षसे भी २१ अलापकके हेना परन्तु इकवीसमा अलापकमें भूइफोडाके स्थान उत्पलादि कमल समझना एवं ४२ अलापक हूवे । ___ पृथ्वी योनियावृक्षमें त्रसकाय उत्पन्न होती है । १ । वृक्ष योनियावृक्षों त्रसकाय उत्पन्न होती है । २ । वृक्ष योनियावृक्षमें मूलादिया दश बोल उत्पन्न होता है । ३ । एवं अञ्जोराका ३, तृणका ३, औषदीका ३, हरिकायका ३, भूइफोडाका १ एवं १६ इसी माफीक उदक योनियाका भी १६ अलापक मीलाके ३२ अलापक हुवे । वेद मोहनिय कर्मोदय मनुष्यकों मैथुन संज्ञा उत्पन्न होती है तब स्त्रि के साथ मैथुन कर्म सेवन करते है उन्ही समय माताका रौद्र पिताका शुक्र के साथसं योग होते है उन्हीके अन्दर जीव उत्पन्न होते है वह त्रिवेद पुरुषवेद नपुंसकवेद उत्पन्न होते ही पेहला माताका रौद्र पिताका शुक्रका आहार लेता है बादमे माता कि नाडी और पुत्र कि नाडी के साथ संबन्ध होनासे माता जो जो रसवती भोजन करती है उन्हीका एक विभाग पुत्र भी आहार करता है गर्भकाल पूर्ण हो तब * पाणीमें कमलादि उत्पन्न होते है जिस्की योनि पाणीमें होती है।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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