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________________ ६६ m गिरि और उत्तरदिशामें उत्तराञ्जनगिरि है प्रत्येक भञ्जनगिरि १००० जो० धरतिमें ८४००० जो० धरतिसे उंचा है मूलमें साधिक दश हजार जो० धरतिपर दश हजार जोजन और सीखरपर एक हजार जोजनके विस्तारवाला है । साधिक तीनगुणी पद्धि है सर्व अरिष्ट ( श्याम ) रत्नमय है | प्रत्यक गिरिके सीखरका तला शममादलका तला माफीक साफ है | सीखरके तलाका मध्यभाग में एक सिद्धातन अर्थात् जिनमन्दिर है वह १०० जो० लम्बो ५० जो० चोडो ७२ जो० उंचा अच्छा सुन्दर रमणिय है उन्ही जिनमन्दिरके च्यारो दिशामें च्यार दरवाजा है वह १६ जो० उंचा ८ जो० पहूला च्यारो दिशा के दरवाजो के आगे च्यार मुखमंडप है वह १०० जो० लम्बा ५० जो० चोडा १६ जोजन साधिक उंचा है । च्यार दरवाजा १६ जो० उंचा ८ जो० चोडा. उन्ही मुखमंडप के आगे प्रेक्षापधरमंडप है वह १०० जो० लम्बा ५० जो० चोडा साधिक १६ जोजन उंचा है उन्हीके अन्दर जोजन विस्तारवाली मणिपिठ चौतरो है ( ठाणायंगवृत्ति) सिंहसन देवदुषवस्त्र तथा वज्रका अंकुश उन्हीके अन्दर घटमान घटमान मौक्ताफलकी मालावों फुदाकर शोभनिक है । उन्ही प्रेक्षपधर मंडपके आगे एक स्थुभ (छत्री) वह १६ जोजन साधिक विस्तारवाली है उन्हीके च्यारो दिशामें च्यार मणिपिठ चौतरा है उन्होंके उपर च्यार
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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