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________________ ८४ १००० जोजन उठा है अर्थात् जम्बुद्विप कि जगति से चौतर्फ पचणवे पचाणवे हजार जोजन जानेपर चौतर्फ दश दश हजार जोजन लवणसमुद्र एक हजार जोजनका उढ़ा है वहासे पचणवे पचणावे हजार जोजन जानेपर घातक खंड द्विप आता है। लवणसमुद्रके च्यारों दिशामे च्यार दरवाजा है वह जम्बुद्विप माफीक समझना । लवणसमुद्रके मध्यभाग जो १०००० जोजनका गोल चक्राकार १००० जोजनके उदस पाणी है उन्ही लवणसमुद्रके मध्यभागमे च्यार पाताल कलशा है (१) पूर्वदिशामे वडवा मुख पातालकलशो (२) दक्षिणदिशा मे केतुनामा पाताकलशो (३) पश्चिमदिशामे जेपु (४) उत्तरदिशामें इश्वर पाताल कलशो | यह च्यारो कलसा लच लक्ष जोजन परिमाण लम्बा है मध्यभागमे लक्ष जोजन विस्तारवाला है कलशोका अधोभाग तथा उपरका मुख दश दश हजार जोजनका है उपर कि ठीकरी एक हजार जोजन कि जाडी है कलशोंका मुखपर हजार हजार जोजन लवण समुद्रका पाणी है । एकेक कलशाके बिचमे अन्तर २१६२६५ जोजनका है उन्ही प्रत्यक अन्तरामे १६२१ छोटे कलशा है च्यारो अन्तरोंमे ७८८४ छोटे कलशा है कारण एकेक अन्तरामे कलशोंकी नव नव श्रेणि है उन्ही श्रेणिमे कलशा २१५-२१६-२१७२१८-२१६-२२०२२१-२२२-२२३ एवं नव श्रेणिका १६७१ कलसा है च्यारो
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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