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________________ ७६ गाउ उढी २५ जोजन विस्तारवाली हरिक्रन्तकुंड २४० जोजनको परिवार ५६००० शेष अधिकार गंगानदी माफीक समझना और निषेडपर्वतपर तीगच्छद्रहसे हरिसलीलानदी हरिवास युगलक्षेत्रमें आई है परिमाणादि सर्व हरिकन्तवत् परन्तु कुंडका नाम हरिसलीला है. निषेड पर्वतपर तीगच्छद्रहके उत्तरके तोरण से सीतानामकी नदी एक जोजनकी उढी ५० विस्तारवाली सीताकुंड ४८० जोजनका है उन्ही के अन्दर आती हूइ देवकूरू युगल क्षेत्रका दो विभाग करती हूइ पांच द्रहको भेदती हूइ देवकुरुसे ८४००० नदीयों साथ लेती हूइ मेरुपर्वतके पास होके भद्रशालवनका दो विभाग करती हूइ पश्चिम महाविदहका मध्यभागमें चलती हूइ चक्रवरतकी १६ विजयके प्रत्यक विजयकि गंगा और सिंधुनदीयों सपरिवार अर्थात् चौदा चौदा हजार नदीयोंका परिवारसे गंगासिंधु नदीयों सीतानदीमें मीलती हूइ सर्व ५३२००० नदीयोंका परिवारसे पश्चिममें मुहकर लवणसमुद्र जा-मीली है। एवं निलवन्त पर्वतपर केशरीद्रहसें सीतोदानदी उत्तरकुरु युगल क्षेत्र के पूर्ववत् ८४००० नदीयोंसे पूर्व महाविदहमें पूर्ववत् कुल ५३२००० नदीयोंके साथमें पूर्व मुहकर लवण समुद्र में जा-मीली है सीतावत् जेसे दक्षिणकी तर्फ से केहते आये है इसी माफीक उत्तरकी तर्फ भी समझना ।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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