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________________ ७४ तोरण ध्वज आदि चित्रोर्से सुन्दर है उन्ही भुवनके मध्य भागमें एक मणिपीट चौतरा है ५०० धनुष लम्बा २५० धनुष चोडा उन्ही चौतरा उपर एक देवशय्या है वह वर्णन करनेयोग है यावत् वहां पर श्रीदेवी अपने देवदेवी के साथ पूर्वउपार्जित शुभ फलोकों भोगवती हूइ आनन्दमें रेहती है। यह पद्मद्रहके बाहार एक पद्मवेदिका और एक वनखंड कर वीटा हुवा है शेषाधिकार नदीद्वार में लिखेंगे इसी माफीक सीखरीपर्वतपर पुंडरिकद्रह भी समझना परन्तु उन्हीके देवी लक्ष्मिदेवीका भुवन या कमल है इसी माफीक देवकूरु उत्तरकूरु युगल क्षेत्रो में १० द्रहका भी वर्णन समझना परन्तु उन्ही द्रहो के बाहार वेदिका दो दो है कारण उन्ही द्रहों में सीता और सीतोदानदी वेदिकाक भेदके हमें आति है और वेदिकाकों भेदके द्रहसें निकलती है वास्ते वेदिका दो दो है शेष अधिकार पद्मद्रह माफीक समझना । १२ । (१३) महापद्मद्रह - महा हेमवन्तपर्वत के उपर मध्यभागमें २००० जो० लम्बा और १००० जो० चोडा दश जो० उढा महापद्म नामका द्रह है उन्होंपर हूँ नामा देवीका कमल तथा भुवन है परन्तु कमलका मान दुगुणा समझना इसी माफीक रूपिपर्वतपर महापुंडरिकनामा द्रह है परन्तु उन्हीपर बुद्धिदेवीका कमल और भुवन हूँ देवी माफीक समझना । १४ ।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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