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________________ (३) पश्चिमदिशमें जयन्तनामा दर० (४) उत्तरदिशमें अप्राजित नामा दर० इन्ही चारों दरवाजोंके नामके च्यारों देवता एकेक पल्योपमकि स्थितिवाले है उन्हीकी राजधानी अन्य जम्बुद्विपमें है। अधिक विस्तारवालोको जीवाभिगमसूत्र देखना चाहिये । () भरतक्षेत्र-जहांपर हम बैठे है इन्हीकों भरतक्षेत्र केहते है । वह चुलहेमवन्तपर्वतसे दक्षिणकि तर्फ विजयन्त दरवाजासे उत्तरकि तर्फ पूर्व और पश्चिम जगतिके बाहार लवणसमुद्र है अर्द्धचन्द्रके आकार है मध्यभागमें वैताडयपर्वत आनासे भरतक्षेत्रका दो विभाग कहाजाते है (१) दक्षिणभरत (२) उत्तरभरत । चुलहेमवन्तपर्वतपर पद्मद्रहसे गंगा और सिन्धुनदी उत्तर भरतका तीन विभाग करति हूइ तमस्रगुफा और खंडप्रभागुफाके निचे वैताडयपर्वतकों भेदके दक्षिणभरतका तीन विभाग करति हूइ लवणसमुद्रमें प्रवेश हुइ है इन्हीसे भरतक्षेत्रका के खंड भी कहाजाता है। दक्षिणभरत २३८ जो० ३ कलाका है जिन्हीके अन्दर तीन खंड है मध्यखंडमें १४००० हजार देश है मौख्य मध्यभांगमें कोशलदेश वनिता (अयोध्या) नगरि है वह परिमाण अंगुलसे १२ जोजन लम्बी ह जोजन पहली है वनितानगरीसे उत्तरकि तर्फ ११४॥ १॥ वैताडयपर्वत है और ११४॥+१॥
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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