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________________ (६) पात्थडेपात्थडे अन्तरद्वार-पेहली नरकके पात्थडे पात्थडे ११५८३१ दुसरा ६७०० तीसरी १२७५० चोथी १६१६६३ पांचमी २५२५० छठी ५२५०० सातमी नरकमें पात्थडा एक ही है. (१०) घणोदद्धिद्वार प्रत्यक नरकपण्डके मिचे २०००० जो कि घणोदद्धि पकाबन्धा हूषा पाणी है. (११) घणवायु-प्रत्यक नरकके घणोदद्धिके निचे असंख्यात २ जोजनकि धनवायु है पकाबन्धा हूवा वायु है. (१२) तृणवायु-प्रत्यक नरकके घणवायुके निचे असंख्यात २ जोजनके तृणवायु पातला वायु है. (१३) आकाश-प्रत्यक नरकके तृणवायुके निचे असंख्यात २ जो० का आकाश है अर्थात् आकाशके आधार तृणवायु है तृणवायुके आधार धनवायु है धनवायुके आधार घनोदद्धि है ननोदद्धिके आधारसे पृथ्वीपण्ड है. (१४) नरक नरकके अन्तरा-एकेक नरकके विचमें असंख्यात असंख्यात जोजमका अन्तरे है. (१५) नरकावासाद्वार-नरकावासा दो प्रकारके है ((१) असंख्यात जोजनके विस्तारवाला जिस्में असंख्यात नेरीया है (२) संख्यात जो जिस्में संख्यात नेरीया है सर्व नरकावासौंका पांच विभाग कर दीया जाय जिस्में च्यार विभाग तो
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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