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________________ मरूस्थलमें मुनि विहारका लाभ । मारवाड फलोधी नगरमें मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराजका चतुर्मास होनेसे धर्म कृत्यमें वृद्धि । (१) सं० १९७७ का चतुर्मासा १ तपम्या कि पंचरंगी एक १ तपस्याका शिरपेच एक २०१ पर्युषणमें पौषद ६६५) पेहले पयुषणमें सुपनोकि आवन्द १२०९।) दुसरे पर्युषणमें सुपनोकि आवन्द (२) सं० १९७८ का चतुर्मासा २ तपम्याकि पंचरंगी दोय २ पौषदका शिरपेच दोय ५०१ पर्युषणोंमें पौषद ५ स्वामिवत्सल पौषदके २ स्वामिवत्सल खीचंदमें २१००) पर्युषणों में सुपनोंकि आवन्द ४ ४ १) श्री भगवती और नन्दीसूत्रकि पूनाका ३४००० पुस्तकों छपी और भी पूजा प्रभावना वरघोडा तथा निर्णोद्धारकि टी तथा ३४ आगोंकि वाचनादि धर्मकृत्य अच्छा हूवा है । vomwOM
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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