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________________ [७६] कार्यत् वैमानिक तक ९४ दंडक भी समझना। इसी तरह मान मंमा लोभ भी समझना चाहिये। (१) घणा जीवोंकी अपेक्षा २४ दंडकमें। : ' . पणा नारकी क्रोध समु० भूतकालमें अनन्ती करी मविष्यमें . नन्ति करेगा एवं वैमानिक तक २४ दंडक समझना और शेष मान, माया, लोभको भी क्रोध समु० वत् समझना । (३) एकेक जीव आपसमें २४ दंडकपर । एक नारकी नारकी पने क्रोध समु. भूतकालमें अनन्ती करी । भविष्यमें स्यात् करे स्यात न करे जो करे वह १-२-३ यावत् सं• असं• या अनन्ति करेगा। एकेक नारकी मसुर कुमार पने क्रोध समु० भूतकालमें भनन्ती करी भविष्यमें कोई करेगा कोई.न करेगा जो करेगा वह १-१-३ यावत् सं. असं अनन्ती करेगा एवं यावत वैमानिक तक २१ दंडक पने भी समझ लेना । ___ शेष १३ दंडकको वेदनी समु० की माफक २४ दंडक पर लगा लेना एवं मान, माया मर्णान्तिक समु० की माफक और लोभ काय समु० की माफक समझना परन्तु लोभमें नारकी अनुर कुमार पने १-२-३ २० असं० मनन्ती कहना। (४) घणा जीव परस्पर २४ दंडक पर घणा नारकी घणा नारकी पने क्रोध समु० भूतकालमें मन.. न्ती करी भविष्यमें अनन्ती करेगा इसी तरह यावत वैमानिक तक २४ दंडकपने भी समझना एवं मान, माया, लोभी भी क्रोधबत् समझना।
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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