SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५] को दस ग्रहन किया जाता है वह मामाका मदेशोंसे ग्रहन बते है । ग्रहन किये हुवे पुद्गलोंको शमको विषपणे परिणमा ना उन्हीकों समुद्घात केहते है वह इस घोडा बारे समावेगा। (१) नामबारसमुदूधात सात प्रकारकी है यथा(१) वेदनी समु०-अवन्त वेदनाका होना (२) कषाय समु०-अति क्रोषादि काय करना । (३) मरणान्तिक समु०-मरती वखत आत्म प्रदेशोंका चलना (४) वैक्रिय समु०-आत्म प्रदेशोंको निकलके वैकिय बनावे (१) तेनत समु०-आत्मपदेशोकोनिकालके तेजस समु करे (६) आहारिक समु०-पूर्वधर मुनि आहारिक शरीर करे (७) केवली समु-केवली महारान करते हैं यह सातों समुद्घातको अब प्रत्येक दंडकपर उतारते हैं कि किस २ दंडक कौन २ समुद्घात होती है। (१) समुच्च जीवमें सातों समु. पावें (१) नारकीमें समु० चार पावे वेदनी, कषाय, मांतिक, ! और वैक्रिय (२) देवकाके १३ दंडकमें समु० ५ पावे तेजस समु. অমিঙ্ক। (३) वायु.कायमें चार पावे नारकीवत् (१) चार स्थावर, विन-विकलेन्द्रिमें तीन समु० पावे वेदनी, कलाय, मरण.
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy