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________________ [५२] यथा चक्षूदर्शन अवधिदर्शन, केवलदर्शन ये दोनों उपयोग नरका दि दंडक पर उतारा जायेगा । दंडक समुचय जीव १ नारकी ७ १३ देवता ५ पांच स्थावर २ बेंद्रिय तेन्द्रिय १ चौरेंद्रिय १ तिर्यच पाचेन्द्रिय १ मनुष्य उपयोग साकार अनाकार पासणिया पासणिया ४ १ ४ ६ ०० ( प्र ) केवली है सो इस रत्नप्रभा नरकको आकार हेतू ओपमा द्राष्टांत वर्ण संस्थान परिमाण-करके जिस समयमें जानते हैं उसी समय देखते हैं या नही ! ( उ ) केवली जिस समय रत्नप्रभा नारकीको पूर्वोक्त आकारसे जानते है उसी समय नहीं देखे । ( प्र ) क्या कारण है ! ( उ ) जो केवलियोंके साकार उपयोग है वह ज्ञान है और नाकार उपयोग है वह दर्शन है इस वास्ते निस समय में जानते हैं उस समय न देखे और जिस समय में देखते हैं उस समय
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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