SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २ ) (३) समुद्घात भी लोकके असंख्यातवे भाग हैं । (२) बादर पृथ्वी काय के अपर्याप्ता के स्थान कहां है ? जहां बादर पृथ्वी काय के पर्याप्ताका स्थान हैं वहीं बादरपृथ्वीकायके अपर्याप्ताका भी स्थान हैं परन्तु उत्पात, समुद्घात सत्र लौक में हैं। क्योंकी सूक्ष्मजीव सर्वलोक व्यापी हैं और वे जीव मरके पृथ्वी कायमें आ शकते हैं। इसलिये अपर्याप्त अवस्था में सर्व लो कहा पर स्थान लोक के असंख्यात में भाग है । (३) सूक्ष्मपृथ्वी काय के पर्याप्ता अपर्याप्ता सब एक ही प्रका रके हैं । कारण ये दोनों प्रकारके जीव लोकव्यापी हैं। इसलिये इनका उत्पात, स्थान, और समुद्धात सर्वलोक में हैं । 9 (४) बादरप्पकायके स्थान कहां हैं? सातों घणोदधि, सातों घणोदधिके बलीया, अधोलोकके पातालकल में, भुवनपति के भवनों में, भवन के विस्तार में, उर्ध्वलोक वैमानमें, वैमानके विस्तार में, तिरछालोक में तालाब, कुत्रा, नदी, द्रह, वापी, पुष्करणी आदि द्वीप, समुद्र जहां जलके स्थान है वहां बादर. काय उत्पन्न होती हैं। उत्पात, स्थान और समुद्घात तीनों, लोकके असं० भाग हैं । (९) बादर अप्पकाय के अपर्याप्ता का स्थान कहां है ? जहां पर बादराय के पर्याप्ता है वहां अपर्याप्ता भी हैं। उत्पात, समुद्वात सर्वलोक में हैं और स्थान लोकके असं भागमें है । पृथ्वी कायवत् | (६) सूक्ष्म पकाय पर्याप्ताऽपर्याप्ता तीनों सर्व लोक में हैं। (७) वादरते उकाय पर्याप्ता के स्थान कहां है ? .
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy