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________________ [३१] १६ समुच्चय अकर्म भूमि (युगल) मनुष्य-मनु यदुणि छपन्न अन्तर द्विपके मनुष्य - मनुष्यणि एवं हेमयके मनुष्य मनुष्यणि एवं एरण वयके २ हरिवासके २ रम्यकवासके २ देवकूरू के २ उत्तर कूरूके २ एवं सर्व १६ बोलोंमे लेश्या पाबे च्यार च्चार कृष्ण निल कापोत तेजो लेश्या पावे __३२ घातकि खण्ड द्विपमे दुगुणक्षेत्र होनासे १६से दुगुण होनासे ३२ बोलोंमे च्यार च्यार लेश्या पावे ३२ पुष्करर्द्ध द्विपमे भी ३२ बोलोंमे लेपा च्यार च्यार पावे। ॥ वर्म भूमियों के गर्भका विच र ॥ (१: कृष्ण लेश्यावाली मातासे कृष्ण लेश्या ० पुत्र का जन्म । निल , ,, कापोत , , तेनो० ,, , , " पद्म , , , __, शुक्ल , , , (१२) एवं निल लेश्यावाली माता ६ लेझ्यावाला पुत्र का गन्न (१८) एवं कापोत ,, , ६ , , , (२४) एवं तेजो , ,, ६ , , , (३०) पद्म , , ६ ॥ " (३६) शुक्ल , ६ , , , (३७) कृष्णले. पितासे ० कृष्ण पुत्रका जन्म (३८) , , निल , ur a
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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