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________________ [२७] (१२) प्रदेशद्वार - एकेक लेश्याके अनंत अनंत प्रदेश है कारण स्थूल अनंत प्रदेशी स्कंध होता है वह लेश्याके गृहनयोग होता है । (१३) अवगाहा - एक लेश्याके जो अनन्ता अनन्ता प्रदेश है वह असंख्या असंख्याते आकाश प्रदेश अवगाह्या ( रोका है ) (१४) वर्गणाद्वार - एकेक लेयाके स्थानोंमें अनंत अनंति वर्गणा वो हैं । (११) अल्पावहत्वद्वार - ( स्थानापेक्षा ) ( १ ) द्रव्य जघन्य स्थान (१) स्तोक कापोत लेश्याका जघन्य द्रव्यस्थान (२) नील लेयाका जघन्य द्रव्य असंख्यात गुणा (३) कृष्ण (४) तेजो (२) पद्म " (६) शुक्ल (२) एवं के बोलो कि प्रदेशकी अल्पा० भी समझना ?? "" (३) कृष्ण (४) तेजो }: "J 17 " ܝ .. 17 " 39 11 :) (३) द्रव्य और प्रदेशकी शामिल स्थान (१) स्तोक कापोत लेश्या जघन्य द्रव्य (२) नील लेश्याका जघन्य द्रव्य असंख्यात गुणा s " 11 ** " "
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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