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________________ . FAP ० 4. " १.० ० . . . . ० ० ० ० . ११६/ घाणेन्द्रिय मिश्रयोगसास्वतेमें | ७ | १२ | १९८५ १२०/ एकान्त असंज्ञी अपर्याप्तामें १२१ विभंगज्ञान मरनेवालोमें १२२. कृष्णलेशीवैक्रय० त्रिवेदमें १२३/ तीनशरीरीश्रौदारीक सास्वतोमें ०३७, ८६ . १२४ लवणसमुद्रके घाणेन्द्रियसास्वतोमें १२१/ लवणसमु० के तेजोलेशीमें १२६/ मरणेवाले गर्भज जीवोमें १२७ वैक्रयशरीर मरनेवालोमें १२८ देवीमें १२६ एकान्त असंज्ञी बादरमें १३०/ लवणसमु० त्रसमिश्रयोगीमें १३१) मनुष्य नपुंसकवेदमें १३२ सास्वता मिश्रयोगीमे १३३/ मनयोगी सम्यग्द्रष्टि असं. भववालोमै १३४ बादर औदारीक सास्वतोमें १३५ प्र० शरीरी एकान्त असंझीमें १३६/ तीनलेशी प्रौदारीशरीरमें १३७/ क्रियावादी असास्वतोंमें १२८ मनयोगी सम्यग्द्रष्टिमें ७/५/ ४५ ८१ ० ० . . . ~ ० ~ ० ० ० ० . . . ० m
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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