SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला पुष्प ने. अथश्री शीघ्रबोध भाग ७ वां. थोकडा नम्बर ६६ इस थोकडे में जीवों के प्रश्न लिखे जाते है जीसकों पढनेसे तर्कशक्ति बहुत बढ जाति है अनेक आगमोंका सूक्ष्मज्ञान कि भी प्राप्ती होती है स्यावाद रहस्यका भी ज्ञान हो जाता है और संसार समुद्रमें अनेक प्रकारकि आपतियोंसे सहज ही से मुक्त हो नाता है बुद्धिबल इतना तो जोरदार हो जाता है कि इस थोकडेकों उपयोग पूर्वक कण्ठस्थ करलेने के बाद कैसा ही प्रश्न क्यों न हो यह फोरन् ही समझमे आजायगा ओर स्यावादसे उस्का उत्तर भी वह ठीक तोरसे दे सकेगा वास्ते आप इस थोकडेको कण्ठस्थ कर अनुभव रसका आन्नद लिजिये । शम् १९८ जीवोंके भेद. कोनसे कोनसे स्थानपर मिलते हैं | उनोंके नाम कि मार्गणा निचे मुजब है. | नरकके १४ भेद. तीर्यचके ४८ भेद. भेद. ० ०० मनुष्यके३ St . . अधोलोकके केवलीमें निश्चय एकावतारीमें | तेजोलेशी एकेन्द्रियमें
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy