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________________ ९१ केवलदर्शनमें ९२ सयोगी. मन वचन काययोगमे . अयोगिमें. साकार मणाकरोपयोग में ९४ ९५ सलेशी शुक्ललेशीमें ९६ कृष्णादि पांच लेश्यामें ९७ अलेशीमें ९८ सकषायि. क्रोधमानमायालोभमें ९९ अकषायि में १०० सवेद. स्त्रि. पुरुष. नपुंसक वेदमें १०१ अवेदी में १०२ आहारीक जीवोमें १०३ अनाहारीक जीवोमें १. नियमा ५ भजना १ नियमा ५ भजना ५ भजना ४ भजना १ नियमा ४ भजना ५ भजना ४ भजना ५ भजना ५ भजना ४ भजना ००० ३ भजना ००० ३ भजना ३ भजना ३ भजना ००० ३ भजना ००० भजना ००० ३ भजना ३ भजना पाचों ज्ञानकि विषय थोकडा नं. ६४-६५-६६ में लिखी गई है तीन अज्ञानकि विषय संक्षेप्त से यहां लिखी जाति है. मति अज्ञानके व्यार भेद है द्रव्यसे परिग्रहीत द्रव्यकों जाने क्षेत्र से परिग्रहित क्षेत्रको जाने. कालसे परिग्रहित कालको जाने, भावसे परिग्रहित भावको जाने. श्रुति अज्ञानके भी इसी माफीक च्यार भेद है परन्तु वहां सामान्य विशेष रूपमे प्ररूपणा करे. एवं विभंगज्ञानकेभी प्यार भेद है परन्तु परिग्रहितद्रव्यादिको सामान्य विशेष रूपमे जाने ओर देखे ( इति ) AW வி
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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