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________________ २२ ( काच ) प्रश्नो और भी विद्याका अतिशयो तथा नागकुमार और सुवर्ण कुमारकी साथे हुआ दिव्य संवादो इस अंग श्रुत स्कंध १ हे इत्यादि शेष यंत्रमें वर्तमान इस अगले पांचाभ्रव पाँच संवरका सविस्तार वर्णन है । ११ विपाक सूत्रमें विपाक संक्षेपसे दो प्रकार दुःख विपाक ( पापका फल ) और सुख विपाक ( पुण्यका फल ) जीसमें दुःख fauren दुःखविपाकवाला ओका नगरी, उद्यानो, चैत्यो बनखंडो, राजाओ, माता पिता, समवसरण धर्माचार्यो, धर्म कथाओ, नरक गमनो संसार प्रबंध दुःख परंपरा, और सुख विपाकमें सुख विपाकवालाओका नगरी, उद्यानो, चेत्यो, वनखंड, राजाओ, माता, पिताओ, समवसरण, धर्माचार्य, धर्मकथा, अलौककी और परलौककी ऋद्धि विशेषो, भोग परित्यागो प्रव्रज्याओ, श्रुत परिग्रहो तपो, उपधानो पर्यायो प्रतिमाओ, संलेखनाओ, भक्त प्रत्याख्यानो, पादपोपगमनो, देवलोक गमनो, सुकुलावतारा, बोधिलाभ और अंतक्रियाओ, इस अंग में इत्यादि शेष यंत्रमें । १२ दृष्टिवाद सूत्र में - सब पदार्थोंकी प्ररूपणा है जीस्का अंग पांच है। १ परिकर्म । गणित विशेष तथा छन्द, पद, काव्या दिकी रचनाकी संकलना २ सूत्र ( दृष्टिवाद संबंधी ८८ सूत्रका विचार ) ३ पूर्व ( १४ पूर्व ) ४ अनुयोग ( जिसमें तिर्थकरों का astrदि पंचकल्याणक व परिवार तथा रुषभदेव और अजीतनाथके आंत में पाटोनपाट मोक्ष गये थे जोस्का अधिकार (५) चूलिका (पूर्वके उपर चूलिका ) दृष्टिवादमें श्रुतस्कंध एक है पूर्व चौदा वत्थू (अध्येन ) संख्याता इत्यादि । इन द्वादशांगी प्रत्येक अंगकी, प्रत्येक वांचना है संख्या व्याख्यानद्वार, संख्याता वेढा जातका छंद, संख्याता श्लोक, संख्याती निर्युक्ति, संख्याति संग्रहणी गाथा, संख्याति परिवृक्ति, संख्यातापद, संख्याता अक्षर, अनंता गमा, अनंतापर्यबा, परितात्रस और अनंता स्थावर इत्यादि सामान्य विशेष प्रकारे श्री
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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