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________________ २१७ केन्द्रियके अनन्ते २ पुद्गल लागा है। जिसकी अल्पाबहुत्व [१] सबसे स्तोक स्पर्शन्द्रियके लागा [२] रसेन्द्रियके लागा अनन्त गु० [ ३ ] घ्राणेन्द्रियके लागा अनन्त गु० [४] श्रोतेन्द्रियके लागा अनन्त गु० [५] चक्षुइन्द्रियके लागा अनन्त गुणा। [१०] आठवा नौवा बोलकी सामील अल्पाबहुत्व-- [१] सबसे स्तोक चक्षु इन्द्रियके कक्खडा गुरुवा पुद्गलों लागा. (२) श्रोतेन्द्रियके कक्खडा गुरुवा लागा अनन्त गु० (३) घ्राणेन्द्रियके , " , " (४) रसेन्द्रियके , " " " (५) स्पर्शेन्द्रियके , " " " (६) , लहुया महुया लागा , (७) रसेन्द्रियके " " " " (८) घ्राणेन्द्रियके " " " " (९) श्रोतेन्द्रियके " " " " (१०) चक्षुन्द्रियके , , , (११) जघन्य उपयोगका कालद्वार(१) सबसे स्तोक चक्षु इन्द्रियका ज? उप० काल (२) श्रातेन्द्रियका न उप० काल विशेषाधिक (३) घ्राणेन्द्रियका ज० उप० काल " ( रसेन्द्रियका " , " (५. स्पर्शन्द्रियका , " " " (१२) उत्कृष्टा उपयोगकि अल्पा० जघन्यवत् (१३) जघन्य उत्कृष्टा उपयोग कालद्वार अल्पा० (१) चक्षु इन्द्रियका जघन्य उपयोग काल स्तोक (२) श्रोतेन्द्रियका , ५ वि०
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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